ठंड में बथुआ खाने से होंगे निरोग, जानें डॉ. दीपिका ने क्या-क्या बताए फायदे

ठंड में बथुआ खाने से होंगे निरोग, जानें डॉ. दीपिका ने क्या-क्या बताए फायदे

अम्बुज यादव

ठंड में खान-पान को लेकर लोग काफी सजग रहते हैं, क्योंकि ठंड में बीमारियां बहुत होती हैं। इसी वजह से लोगों को डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि वो सर्दियों के मौसम में अपने खान-पान औऱ रहन-सहन का ज्यादा ख्याल रखें। ठंड में होने वाली बीमारियों से बचने के लिए नोएडा में स्थित कैलाश अस्पताल की डॉक्टर दीपिका ने बताया की अगर लोग हरी सब्जी का प्रयोग खाने में करें तो बीमारियों से बचा जा सकता है। यहीं नहीं उन्होंने बताया की हरी सब्जी में बथुआ खाने से गुर्दों में पथरी नहीं होती है। उन्होंने बताया कि बथुआ की प्रकृती ठंडी होती है, जिसकी वजह से बथुआ आमाशय को बलवान बनाता है। वहीं गर्मी की वजह से यकृत बढ़ जाता है, तो बथुआ उसे भी ठीक करता है।

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डॉक्टर दीपिका के अनुसार बथुए में लोहा, पारा, सोना और क्षार पाया जाता है, जिसका सेवन करने पर शरीर में कोई रोग नहीं होता है। बथुए का सेवन कम से कम मसाले डालकर करें। नमक न मिलाएं तो अच्छा है, यदि स्वाद के लिए मिलाना पड़े तो सेंधा नमक मिलाएं और गाय या भैंस के घी से छौंक लगाएं। बथुए का उबाला हुआ पानी अच्छा लगता है तथा दही में बनाया हुआ रायता स्वादिष्ट होता है। किसी भी तरह बथुआ नित्य सेवन करें। बथुआ शुक्रवर्धक है।

आपको बता दे कि डॉक्टर दीपिका ने बताया कि बथुआ खाने से कई तरह के रोगों से लोगों को निजात मिलती है, तो आइये जानते है कि आखिर किन-किन रोगों से बथुआ हमें बचाता है?

कब्ज : बथुआ आमाशय को ताकत देता है, कब्ज दूर करता है, बथुए की सब्जी दस्तावर होती है, कब्ज वालों को बथुए की सब्जी नित्य खाना चाहिए। कुछ सप्ताह नित्य बथुए की सब्जी खाने से सदा रहने वाला कब्ज दूर हो जाता है। शरीर में ताकत आती है और स्फूर्ति बनी रहती है।

पेट के रोग : जब तक मौसम में बथुए का साग मिलता रहे, नित्य इसकी सब्जी खाएं। बथुए का रस, उबाला हुआ पानी पीएं, इससे पेट के हर प्रकार के रोग यकृत, तिल्ली, अजीर्ण, गैस, कृमि, दर्द, अर्श पथरी ठीक हो जाते हैं।

पथरी: पथरी हो तो एक गिलास कच्चे बथुए के रस में शकर मिलाकर नित्य सेवन करें तो पथरी टूटकर बाहर निकल आएगी। जुएं, लीखें हों तो बथुए को उबालकर इसके पानी से सिर धोएं तो जुएं मर जाएँगी तथा बाल साफ हो जाएंगे।

मासिक धर्म: मासिक धर्म रुका हुआ हो तो दो चम्मच बथुए के बीज एक गिलास पानी में उबालें। आधा रहने पर छानकर पी जाएं। मासिक धर्म खुलकर साफ आएगा। आंखों में सूजन, लाली हो तो प्रतिदिन बथुए की सब्जी खाएं।

पेशाब के रोग : बथुआ आधा किलो, पानी तीन गिलास, दोनों को उबालें और फिर पानी छान लें। बथुए को निचोड़कर पानी निकालकर यह भी छाने हुए पानी में मिला लें। स्वाद के लिए नीबू, जीरा, जरा सी काली मिर्च और सेंधा नमक लें और पी जाएं। इस प्रकार तैयार किया हुआ पानी दिन में तीन बार लें। इससे पेशाब में जलन, पेशाब कर चुकने के बाद होने वाला दर्द, टीस उठना ठीक हो जाता है, दस्त साफ आता है। पेट की गैस, अपच दूर हो जाती है। पेट हल्का लगता है। उबले हुए पत्ते भी दही में मिलाकर खाएं।

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मूत्राशय, गुर्दा और पेशाब के रोगों में बथुए का साग लाभदायक है। पेशाब रुक-रुककर आता हो, कतरा-कतरा सा आता हो तो इसका रस पीने से पेशाब खुल कर आता है।

कच्चे बथुए का रस एक कप में स्वादानुसार मिलाकर एक बार नित्य पीते रहने से कृमि मर जाते हैं। बथुए के बीज एक चम्मच पिसे हुए शहद में मिलाकर चाटने से भी कृमि मर जाते हैं तथा रक्तपित्त ठीक हो जाता है।

सफेद दाग, दाद, खुजली, फोड़े आदि चर्म रोगों में नित्य बथुआ उबालकर, निचोड़कर इसका रस पिएं तथा सब्जी खाएं। बथुए के उबले हुए पानी से चर्म को धोएं। बथुए के कच्चे पत्ते पीसकर निचोड़कर रस निकाल लें। दो कप रस में आधा कप तिल का तेल मिलाकर मंद-मंद आग पर गर्म करें। जब रस जलकर पानी ही रह जाए तो छानकर शीशी में भर लें तथा चर्म रोगों पर नित्य लगाएं। लंबे समय तक लगाते रहें, लाभ होगा।

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फोड़े, फुन्सी, सूजन पर बथुए को कूटकर सौंठ और नमक मिलाकर गीले कपड़े में बांधकर कपड़े पर गीली मिट्टी लगाकर आग में सेकें। सिकने पर गर्म-गर्म बांधें। फोड़ा बैठ जाएगा या पककर शीघ्र फूट जाएगा।

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